तू लाख इनकार कर ले जबां से,
जितना चाहे छुपा ले जहाँ से,
यह राज खुल जायेगा एक दिन,
तू होगी बाँहों में मेरे, और
मेरे नाम का सिंदूर तेरी मांग में
सज जायेगा एक दिन |
***
हाय तेरे गालों का वों तिल,
जिसने लुट लिया मेरा दिल|
गम नहीं हमे अपने दिल के जाने का
ख़ुशी है तो बस प्यार तेरा पाने का |
2001
जितना चाहे छुपा ले जहाँ से,
यह राज खुल जायेगा एक दिन,
तू होगी बाँहों में मेरे, और
मेरे नाम का सिंदूर तेरी मांग में
सज जायेगा एक दिन |
***
हाय तेरे गालों का वों तिल,
जिसने लुट लिया मेरा दिल|
गम नहीं हमे अपने दिल के जाने का
ख़ुशी है तो बस प्यार तेरा पाने का |
2001
Anand
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3 comments:
संजय भास्कर said...
Beautiful as always.
It is pleasure reading your poems.
परमजीत सिहँ बाली said...
अपने मनोभावों को बहुत सुन्दर शब्द दिये हैं।
दिगम्बर नासवा said...
हाय तेरे गालों का वों तिल,
जिसने लुट लिया मेरा दिल|
गम नहीं हमे अपने दिल के जाने का
ख़ुशी है तो बस प्यार तेरा पाने का ..
क्या बात है आनंद जी .... बहुत उम्दा ...