रघुपति राघव रजा राम, पतित पवन सीता राम सीता राम सीता राम,
भज प्यारे तु सीताराम इश्वर अल्लाह तेरो नाम, सब को सन्मति दे भगवान...
मोहनदास करमचंद गाँधी, महात्मा गाँधी, बापू, शान्ति और अहिंसा के प्रतिक, हमारे रास्ट्रपिता का जन्म आज के ही दिन 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ|
बापू ने जात-पात, घर्म, बिरादरी, भाषा, छेत्र, राज्य और देश की सीमाओं से आगे बढ़कर संपूर्ण विश्व को अपना परिवार माना और इन्ही की सेवा में अपना सारा जीवन बिता दिया| आज जब भी विश्व के महान लोगो की चर्चा होती है तो बापू का नाम बड़े गर्व से लिया जाता है| ये आजाद हवाएं बापू की ही देन है|
अब बारी हमारी है| देश और समाज को आज फिर बापू की जरूरत है| एक नहीं सैकड़ो, हजारो बापू चाहिए, हमारे देश को, हमारे विश्व को| मात्र छुट्टी की ख़ुशी मनाने और बधाई सन्देश देने मात्र से ही हमारा कर्त्तव्य पूरा नहीं होता| छमा चाहूंगा, पर बापू ने अपने जीवन काल में जो कार्य किए है अगर उनका उलेख करने बैठू को ये कुछ कुछ जायदा लम्बा हो जायेगा| आज मेरी आप सभी से एक ही आग्रह है की खर-पतवार उखाड़ दीजिये| सभी मिलकर अपने घर, समाज, देश और इस विश्व की गन्दगी साफ़ करें| जी हाँ, वहि गन्दगी जिसे देख के हम अक्सर अनदेखा कर देते है| काव्यलोक पर एक कविता मैंने लिखी थी शायेद आपमें से खुछ लोगो ने पढ़ी हो| इस कविता में मैंने कुछ गन्दगी का उलेख किया है -
http://kavyalok।com/poems-kavita-gazal-nazm/ai-humvatan-ai-humvatan/
आज समाज को नए दिशा देने की जरूरत है| इस पीडी और आने वाली पीड़ियो को गांधी की सीख़ और उपदेशो हो जानने और मानने की जरूरत है| क्यों न आप-हम ऐसे कार्य करे की विश्व हमसे प्रेरित हो और सिर्फ हमारे माँ-बाप का ही नहीं हमरे देश का सीना हमारे नाम से चौड़ा हो जाये|
Anand kumar
www.kavyalok.com
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4 comments:
संजय भास्कर said...
राष्ट्रपिता को प्रणाम।
संजय भास्कर said...
दोनों महापुरुषों पर हमें नाज़ है । इनको शत शत नमन ।
मनोज कुमार said...
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
तुम मांसहीन, तुम रक्त हीन, हे अस्थिशेष! तुम अस्थिहीऩ,
तुम शुद्ध बुद्ध आत्मा केवल, हे चिर पुरान हे चिर नवीन!
तुम पूर्ण इकाई जीवन की, जिसमें असार भव-शून्य लीन,
आधार अमर, होगी जिस पर, भावी संस्कृति समासीन।
कोटि-कोटि नमन बापू, ‘मनोज’ पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
संगीता स्वरुप ( गीत ) said...
अच्छा लेख ..बापू और लाल बहादुर शास्त्री जी को नमन