अब यूं दिल को सजा दी हम ने
उस की हर बात भूला दी हम ने
एक एक फूल बहुत याद आया
शाक-ए-गुल जब वो जला दी हम ने
आज तक जिस पे वो शर्माते हैं
बात वो कब की भूला दी हम ने
शर-ऐ-जहाँ राख से आबाद हुआ
आग जब दिल की बुझा दी हम ने
आज फिर यूँ बहुत याद आया व़ोह
आज फिर उस को दुआ दी हम ने
कोई तो बात है इस में फैज़ ???
हर खुशी जिस पे लूटा दी हम ने
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उस की हर बात भूला दी हम ने
एक एक फूल बहुत याद आया
शाक-ए-गुल जब वो जला दी हम ने
आज तक जिस पे वो शर्माते हैं
बात वो कब की भूला दी हम ने
शर-ऐ-जहाँ राख से आबाद हुआ
आग जब दिल की बुझा दी हम ने
आज फिर यूँ बहुत याद आया व़ोह
आज फिर उस को दुआ दी हम ने
कोई तो बात है इस में फैज़ ???
हर खुशी जिस पे लूटा दी हम ने
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2 comments:
Udan Tashtari said...
बहुत बढ़िया.
संजय भास्कर said...
सुन्दर अभिव्यक्ति...कम शब्दों में गहरी बात...हमेशा की तरह...