मन तू एक है,
आशिक है तेरे हजार|
पर जला तो न उन्हें,
चाहे कर न उन्हें प्यार|
***
हमने तुम्हे दिल दिया है,
शीशा समझ के तोड़ न देना|
दुसरो की तरह तुम भी,
सतज हमरा छोड़ न देना

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दोस्त दोस्ती क्या है,
ये मैंने तुम्ही से है जाना|
अब तो तुम्हारे लिए है जीना,
तुम्हारे लिए ही है मरजाना|
***
बनता है मुझे दीवाना,
तेरा ये मुस्कराना|
तेरा मुझे डांटना ,
और फिर हँस जाना|
भूल से ही सही,
तेरा मेरे सपनो में आना|
Anand
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बनने को तो हम भी,

तुम्हारे आशिक बन जाते|

मगर आशिक तुम्हारे,

हमारा हाल बुरा कर जाते|

***

मैंने तो बस उनसे,

मांगी थी एक पप्पी,

पर उन्होंने निकाल ली सैंडल,

बनाने ओ मेरी चम्पी |

Anand

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यु तो हमारी आदत है गलतियाँ कर जाना,
पर तुम्हारी यह अदा भी अच्छी नहीं की
आके पास हमारे, फिर दूर चले जाना
बैठ के पास किसी और के , देर तक बतियाना
दूर ही बैठे सही, पर मुझे जलना
मानता हूँ की तेरा मेरा नाता नहीं कुछ ज्यादा पुराना
पर जितना भी हैं, यह विनती है की उसे भुलाना
Anand
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लुत्फ़-ए-दोज़ख भी लुत्फ़-ए-जन्नत भी
हाय किया चीज़ है मोहब्बत भी

इश्क से दूर भागने वालो
थी येही पहले अपनी आदत भी

जीने वाला बना ले जो चाहे
ज़िन्दगी खवाब है हकीकत भी

हाल-ए-दिल कह के कहा न गया
आ गई अपने सर यह तोहमत भी

नाज़-ए-अख्फे ग़म बजा लेकिन
तू ने देखि है अपनी सूरत भी?

उफ़ वो दौर-ए-निशात-ए-इश्क खुमार
लुत्फ़ देती थी जब मोसीबत भी..........
खुमार बाराबंकवी
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अब यूं दिल को सजा दी हम ने
उस की हर बात भूला दी हम ने

एक एक फूल बहुत याद आया
शाक-ए-गुल जब वो जला दी हम ने

आज तक जिस पे वो शर्माते हैं
बात वो कब की भूला दी हम ने

शर-ऐ-जहाँ राख से आबाद हुआ
आग जब दिल की बुझा दी हम ने

आज फिर यूँ बहुत याद आया व़ोह
आज फिर उस को दुआ दी हम ने

कोई तो बात है इस में फैज़ ???
हर खुशी जिस पे लूटा दी हम ने
Anonymous
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कुछ बता पिछले पहर ख़ुवाब में अन्य वाले,
किया वो दिन आयें गे फिर हम को मिलने वाले,

तुझ को आना ही था, सिर्फ बहाने थे तेरे,
वरना आजाते हैं हर हाल में अन्य वाले,

उन निगाहों ने मुझे कतल सर--आम किया,
देख्येअ आते हैं कब लाश उठाने वाले,

किसे ग़म कहार कहूँ और किसे हम दर्द कहूँ,
एक तेरे सिवा हें सब दिल को दुखाने वाले,

कुछ बता पिछले पहर खुआब में अन्य वाले,
किया वो दिन आयें गे फिर हम को मिलने वाले

Source: internet
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गर्दिश के बाद ज़ात का महवर मिला मुझे,
जिस से निकल गया था में वोही घर मिला मुझे,

ज़र्रे के एक जुजव से खुला राज़-ए-काइनात,
कतरे की वुसा'टन में समंदर मिला मुझे,

कितनी अजीब बात है जो चाहता हूँ मैं,
किस्मत से उस तरह का मुक़द्दर मिला मुझे,

मैं था की केफियात के पर्दों में क़ैद था,
वो था के हर लिहाज़ से खुल के मिला मुझे,

दुनिया की वुसा'टन में तुझे ढूंढता रहा,
लेकिन वो मेरी ज़ात क अन्दर मिला मुझे
Anonymous
अगर हों सके तो कृपा करके वुसा'टन (wussa'ton) मतलब बताये ताकि इसे सही किया जा सके|
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रघुपति राघव रजा राम, पतित पवन सीता राम सीता राम सीता राम,

भज प्यारे तु सीताराम इश्वर अल्लाह तेरो नाम, सब को सन्मति दे भगवान...

मोहनदास करमचंद गाँधी, महात्मा गाँधी, बापू, शान्ति और अहिंसा के प्रतिक, हमारे रास्ट्रपिता का जन्म आज के ही दिन 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ|

बापू ने जात-पात, घर्म, बिरादरी, भाषा, छेत्र, राज्य और देश की सीमाओं से आगे बढ़कर संपूर्ण विश्व को अपना परिवार माना और इन्ही की सेवा में अपना सारा जीवन बिता दिया| आज जब भी विश्व के महान लोगो की चर्चा होती है तो बापू का नाम बड़े गर्व से लिया जाता है| ये आजाद हवाएं बापू की ही देन है|

अब बारी हमारी है| देश और समाज को आज फिर बापू की जरूरत है| एक नहीं सैकड़ो, हजारो बापू चाहिए, हमारे देश को, हमारे विश्व को| मात्र छुट्टी की ख़ुशी मनाने और बधाई सन्देश देने मात्र से ही हमारा कर्त्तव्य पूरा नहीं होता| छमा चाहूंगा, पर बापू ने अपने जीवन काल में जो कार्य किए है अगर उनका उलेख करने बैठू को ये कुछ कुछ जायदा लम्बा हो जायेगा| आज मेरी आप सभी से एक ही आग्रह है की खर-पतवार उखाड़ दीजिये| सभी मिलकर अपने घर, समाज, देश और इस विश्व की गन्दगी साफ़ करें| जी हाँ, वहि गन्दगी जिसे देख के हम अक्सर अनदेखा कर देते है| काव्यलोक पर एक कविता मैंने लिखी थी शायेद आपमें से खुछ लोगो ने पढ़ी हो| इस कविता में मैंने कुछ गन्दगी का उलेख किया है -
http://kavyalok।com/poems-kavita-gazal-nazm/ai-humvatan-ai-humvatan/

आज समाज को नए दिशा देने की जरूरत है| इस पीडी और आने वाली पीड़ियो को गांधी की सीख़ और उपदेशो हो जानने और मानने की जरूरत है| क्यों न आप-हम ऐसे कार्य करे की विश्व हमसे प्रेरित हो और सिर्फ हमारे माँ-बाप का ही नहीं हमरे देश का सीना हमारे नाम से चौड़ा हो जाये|

Anand kumar

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हर-एक रूह की साँसों पे वज़न देख रहा हूँ
में हर-एक सख्स के हाथों में कफ़न देख रहा हूँ

ई खिरद-मंदों खुदा होने का दावा न करो
में तो इंसान में आदम को भी कम देख रहा हूँ

यह हवाओं में ज़हर और यह बीमार फिजा
काल को जो होना है अंजाम-ए-चमन देख रहा हूँ

यह खुदाओं के लिए क़त्ल-ए-खुद्दै चोर्हो
नस्ल-ए-आदम में तबाही का चलन देख रहा हूँ

रौशनी वालों अंधेरों में भी जीना सीखो
में आफताब के पैरों में थकन देख रहा हूँ


source: net

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