अश्क घर कर गए, आखों में हमारे
डरते है, उनका दामन न भीग जाये
ashk ghar kar gaye, aakhon me hamaare
darte hai, unka daaman na bhig jaye..
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डरते है, उनका दामन न भीग जाये
ashk ghar kar gaye, aakhon me hamaare
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1 comments:
राजभाषा हिंदी said...
राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
मैं दुनिया की सब भाषाओं की इज़्ज़त करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिन्दी की इज़्ज़त न हो, यह मैं नहीं सह सकता। - विनोबा भावे
भारतेंदु और द्विवेदी ने हिन्दी की जड़ें पताल तक पहुँचा दी हैं। उन्हें उखाड़ने का दुस्साहस निश्चय ही भूकंप समान होगा। - शिवपूजन सहाय
हिंदी और अर्थव्यवस्था-2, राजभाषा हिन्दी पर अरुण राय की प्रस्तुति, पधारें