धडकता है दिल अब भी,
पर इसमें अब वों बात नहीं |
क्यों तुम्हारा मिलना अब,
खुशियों की सौगात नहीं |
क्यों मन भारी होता है,
अब तुम्हें सोच कर भी |
क्यों हमें अब कोई आस नहीं,
हमारी हसी में वों उल्लास नहीं|
क्यों बदल गए तुम इतना ,
तुम पे होता विस्वास नहीं |
क्यों दिल में सवाल उठते है,
मिलते अब इनके जवाब नहीं |
क्यों इतने दूर तुम लगने लगे,
की तुम्हारे होने का भी एहसास नहीं |
क्यों अब भी खड़े हम उसी मोड़ पे,
जिसपे थामा तुमने मेरे हाथ नहीं |
बाहें फैली हैं अब भी आलिंगन के लिए,
आ जाओ होती सदा के लिए रात नहीं |
dhadktha hai dil ab bhi,
per isme ab vo baat nahi|
kyo tumhara milna ab,
khushiyo ki saugaat nahi|
kyo man bhari hota hai,
ab tumhe soch kar bhi |
kyo hame ab koi aas nahi,
hamari hasi me vo ullas nahi|
kyo badal gaye tum itna ,
tum pe hota viswas nahi|
kyo dil me sawaal uthte hai,
milte ab inke jawab nahi|
kyo itne dur tum lagne lage,
ki tumhare hone ka bhi ehsaas nahi|
kyo ab bhi khade hum usi mod pe,
jispe thama tumne mere haath nahi|
baahe faili hain ab bhi aalingan ke liye,
aa jaoo hoti sada ke liye raat nahi
http://kavyalok.com
Please post your own poems and take part in disscussion(tell your action).
पर इसमें अब वों बात नहीं |
क्यों तुम्हारा मिलना अब,
खुशियों की सौगात नहीं |
क्यों मन भारी होता है,
अब तुम्हें सोच कर भी |
क्यों हमें अब कोई आस नहीं,
हमारी हसी में वों उल्लास नहीं|
क्यों बदल गए तुम इतना ,
तुम पे होता विस्वास नहीं |
क्यों दिल में सवाल उठते है,
मिलते अब इनके जवाब नहीं |
क्यों इतने दूर तुम लगने लगे,
की तुम्हारे होने का भी एहसास नहीं |
क्यों अब भी खड़े हम उसी मोड़ पे,
जिसपे थामा तुमने मेरे हाथ नहीं |
बाहें फैली हैं अब भी आलिंगन के लिए,
आ जाओ होती सदा के लिए रात नहीं |
dhadktha hai dil ab bhi,
per isme ab vo baat nahi|
kyo tumhara milna ab,
khushiyo ki saugaat nahi|
kyo man bhari hota hai,
ab tumhe soch kar bhi |
kyo hame ab koi aas nahi,
hamari hasi me vo ullas nahi|
kyo badal gaye tum itna ,
tum pe hota viswas nahi|
kyo dil me sawaal uthte hai,
milte ab inke jawab nahi|
kyo itne dur tum lagne lage,
ki tumhare hone ka bhi ehsaas nahi|
kyo ab bhi khade hum usi mod pe,
jispe thama tumne mere haath nahi|
baahe faili hain ab bhi aalingan ke liye,
aa jaoo hoti sada ke liye raat nahi
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4 comments:
Udan Tashtari said...
बहुत उम्दा!
संजय भास्कर said...
क्यों दिल में सवाल उठते है,
मिलते अब इनके जवाब नहीं |
क्यों इतने दूर तुम लगने लगे,
की तुम्हारे होने का भी एहसास नहीं |
वाह !! एक अलग अंदाज़ कि रचना ......बहुत खूब
संजय भास्कर said...
ये पोस्ट भी बेह्तरीन है
कुछ लाइने दिल के बडे करीब से गुज़र गई....
मनोज कुमार said...
कविता काफी अर्थपूर्ण है!